दिल्ली की हवा में जहर घुलने के साथ ही अस्पतालों में सांस संबंधी मरीजों की संख्या में 30-40% तक का इजाफा हुआ है. खासकर बच्चे और बुजुर्ग इस प्रदूषण के प्रकोप का सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं. October 24, 2024 at 05:53AM
Tracheostomy: Artificial respiration: सांस संबंधी तकलीफ होने पर ट्रेकियोस्टोमी दी जाती है। यह गले और फेफड़े में संक्रमण, सांस नली में ब्लॉकेज या गले में कैंसर के कारण सांस न ले पाने की स्थिति में सर्जरी के दौरान दी जाती है। जानें इसके बारे में- कब ट्रेकियोस्टोमी की जरूरत पड़ती है ? सांस न ले पाने की स्थिति में ट्रेकियोस्टॉमी से कृत्रिम सांस देते हैं। यह इलाज नहीं बल्कि इसका एक हिस्सा है। 5-15 मिनट की सर्जिकल प्रक्रिया में गर्दन में सांस की नली (दूसरी-तीसरी ट्रेकियल रिंग के बीच) को सुन्न कर छोटा छेद कर उसमें ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब डालते हैं। इसे ऑक्सीजन से जोड़कर रोगी को कृत्रिम सांस देते हैं। मशीन से मॉनिटर कर तय होता है कि सांस कब-कितनी देनी है। रोग के इलाज पर निर्भर होता है कि इसे कितने दिन देना है। इलाज पूरा होने पर ट्यूब हटाकर गले के सर्जरी वाले भाग पर टांके लगा देते हैं। क्या सावधानी जरूरी - ट्रेकियोस्टोमी से पहले मरीज का ब्लड टैस्ट होता है ताकि रक्त से जुड़े डिसऑर्डर का पता लग सके। जैसे खून का थक्का न जमने की समस्या होने पर मरीज को प्लेटलेट चढ़ाए जाते हैं व विटामिन-के, के इंजे...
हम में से काफी लोगों को कुत्ते से डर लगता है, क्योंकि अगर ये हमें काट लें तो रेबीज का इंफेक्शन हो सकता है, एक ताजा सर्वे के मुताबिक भार में कुत्ता वो जानवर है जो सबसे ज्यादा एनिमल बाइट के लिए जिम्मेदार है. January 25, 2025 at 02:27PM